5 Easy Facts About Shodashi Described
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?
Shodashi’s Vitality fosters empathy and kindness, reminding devotees to solution others with knowledge and compassion. This reward encourages harmonious relationships, supporting a loving approach to interactions and fostering unity in household, friendships, and Group.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को Shodashi शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
Goddess Lalita is worshipped through several rituals and practices, together with browsing her temples, attending darshans and jagratas, and doing Sadhana for both of those worldly pleasures and liberation. Every single Mahavidya, such as Lalita, has a selected Yantra and Mantra for worship.
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥